शनिवार, 13 दिसंबर 2008

मेरा साईं













ॐ साईं राम ॐ

प्यार बांटते साईं

प्यार बांटते साईं
प्राणी मात्र की पीड़ा हरने वाले साई हरदम कहते, 'मैं मानवता की सेवा के लिए ही पैदा हुआ हूं। मेरा उद्देश्य शिरडी को ऐसा स्थल बनाना है, जहां न कोई गरीब होगा, न अमीर, न धनी और न ही निर्धन..।' कोई खाई, कैसी भी दीवार..बाबा की कृपा पाने में बाधा नहीं बनती। बाबा कहते, 'मैं शिरडी में रहता हूं, लेकिन हर श्रद्धालु के दिल में मुझे ढूंढ सकते हो। एक के और सबके। जो श्रद्धा रखता है, वह मुझे अपने पास पाता है।'साई ने कोई भारी-भरकम बात नहीं कही। वे भी वही बोले, जो हर संत ने कहा है, 'सबको प्यार करो, क्योंकि मैं सब में हूं। अगर तुम पशुओं और सभी मनुष्यों को प्रेम करोगे, तो मुझे पाने में कभी असफल नहीं होगे।' यहां 'मैं' का मतलब साई की स्थूल उपस्थिति से नहीं है। साई तो प्रभु के ही अवतार थे और गुरु भी, जो अंधकार से मुक्ति प्रदान करता है। ईश के प्रति भक्ति और साई गुरु के चरणों में श्रद्धा..यहीं से तो बनता है, इष्ट से सामीप्य का संयोग।दैन्यता का नाश करने वाले साई ने स्पष्ट कहा था, 'एक बार शिरडी की धरती छू लो, हर कष्ट छूट जाएगा।' बाबा के चमत्कारों की चर्चा बहुत होती है, लेकिन स्वयं साई नश्वर संसार और देह को महत्व नहीं देते थे। भक्तों को उन्होंने सांत्वना दी थी, 'पार्थिव देह न होगी, तब भी तुम मुझे अपने पास पाओगे।'अहंकार से मुक्ति और संपूर्ण समर्पण के बिना साई नहीं मिलते। कृपापुंज बाबा कहते हैं, 'पहले मेरे पास आओ, खुद को समर्पित करो, फिर देखो..।' वैसे भी, जब तक 'मैं' का व्यर्थ भाव नष्ट नहीं होता, प्रभु की कृपा कहां प्राप्त होती है। साई ने भी चेतावनी दी थी, 'एक बार मेरी ओर देखो, निश्चित-मैं तुम्हारी तरफ देखूंगा।'1854 में बाबा शिरडी आए और 1918 में देह त्याग दी। चंद दशक में वे सांस्कृतिक-धार्मिक मूल्यों को नई पहचान दे गए। मुस्लिम शासकों के पतन और बर्तानिया हुकूमत की शुरुआत का यह समय सभ्यता के विचलन की वजह बन सकता था, लेकिन साई सांस्कृतिक दूत बनकर सामने आए। जन-जन की पीड़ा हरी और उन्हें जगाया, प्रेरित किया युद्ध के लिए। युद्ध किसी शासन से नहीं, कुरीतियों से, अंधकार से और हर तरह की गुलामी से भी! यह सब कुछ मानवमात्र में असीमित साहस का संचार करने के उपक्रम की तरह था। हिंदू, पारसी, मुस्लिम, ईसाई और सिख..हर धर्म और पंथ के लोगों ने साई को आदर्श बनाया और बेशक-उनकी राह पर चले। दरअसल, साई प्रकाश पुंज थे, जिन्होंने धर्म व जाति की खाई में गिरने से लोगों को बचाया और एक छत तले इकट्ठा किया। घोर रूढि़वादी समय में अलग-अलग जातियों और वर्गो को सामूहिक प्रार्थना करने और साथ बैठकर 'चिलम' पीने के लिए प्रेरित कर साई ने सामाजिक जागरूकता का भी काम किया। वे दक्षिणा में नकद धनराशि मांगते, ताकि भक्त लोभमुक्त हो सकें। उन्हें चमत्कृत करते, जिससे लोगों की प्रभु के प्रति आस्था दृढ़ हो। आज साई की नश्वर देह भले न हो, लेकिन प्यार बांटने का उनका संदेश असंख्य भक्तों की शिराओं में अब तक दौड़ रहा है।

रामसाईं

ओम साईं
रामसाईं अपने हाथ की हमें कठ्पुतली बना
लोजैसे चाहे डोर खींचो,
जैसे चाहे नचा लो सब कुछ अर्पण करने की अपनी,
पूरी है तैयारीदास बनाओ या काठ बनाओ, मरज़ी है
तुम्हारीऔर नहीं तो साईं देवा,
बस इतना ही कर दो सांस सांस से साईं सिमरें,
बस इतना ही वर दो दे सको तो आशिश दे दो हमको,
हे साईं अभिराम साईं साईं रटते रटते हो जीवन की शाम कृपा दृष्टि जो मिल जाये तेरी,
साईं करुणा प्रेरेतुम में आन मिलें और छूटें जन्म मरण के फेरे
जय साईं राम साईं सेविका जय सांई राम़।।।
रुलाने वाले को भी हसाने का हुन्नर सिखा दोऔर जिसे रुला गये हैं
उसे भी हंसाओ यारोकौन कहता है कि
आसमां मे छेद नही हो सकताएक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।
नज़रों को ज़मी से उठा कर आसमां पर लगाओकर लो इरादा
और आसमा को भी झुकाओ यारोएक बार फिर
हुक्म दो हवा कोआवाज़ अपनी इस जंहा को सुनाओ
यारोपत्थर तो सभी फेंक सकते
हैंतुम पत्थरों में भी फूल खिलाओ यारोबरसाने दो
सूरज को अपनी आग, बस मुस्कराओऔर
आग को भी ठन्डी चाँदनी बनाओ यारो।
करो शुरुआत कुछ नये बीज बोने कीकरो हिफाज़त और
उस बीज को एक पेड़ बनाओ
यारोउसकी छाया हो हर अपने और पराये के लियेना भूले ज़माना
एक ऐसी मिसाल बनाओ यारोचार दिन की है
ज़िन्दगी इसे यूँ मत उड़ाओएक दिन खेलो
दूसरे दिन संभलो तैयार होतीसरे दिन बनाओ अपनी
राह और मुकाम को पाओचौथे दिन मनाओ खुशियां
फिर हंसते हंसते जाओऔर जब जाओ तो एक आंसू सब की आंख में दे जाओ यारो।
कौन कहता है कि आसमां में छेद नही हो सकताएक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
चुपी भी मोहब्बत की ज़ुबान होती
हैप्यार की सच्चाई निगाहों से भी बयान होती है।
'महबूब' ना आये तो चुभन सी होती है
दिल मेंउसके आने से हर तम्मना दिल की जवान होती है...
सब तकदीरों का खेल है यारोहर किसी पे कहां ये मोहब्बत,
मेहरबान होती...मिलना बिछड़ना तो खेल है तकदीर काजला
जो मैं दर्द-ए-मोहब्बत में तो हर तम्मना दिल में धुंआ होती है...
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना
सांई राम।।।

ॐ सांई राम

ॐ सांई राम~~~वो आए रूके कुछ पल ,
झाका और चल दिए,मैं दौङी पीछे पकङा हाथ,
और हैरानी से पूछा कहां चल दिएवो बोले बङे दुखी मन से ...
अरे पगलीतुने की थी पुकारा तो में दौङा चला आया,
पर लगा जब अंदर आने,तो देखा
मैने कि भीङ है लगी हुई सभी ने है डेरा जमाया,
मैं बैठू कहां ये बता मुझकोक्या है
तेरे मन में मेरा ठिकानातू जब पुकारें मुझे
मैं दौङा चला आता हूँपर तू तो ये भी ना जाने कि है
मुझे कहां बिठानाइस भीङ कि कुछ कम कर कर साफ मेरी जगह कोफिर बुला
मुझे फिर देख कभी ना होगा वापस जानामैं हो गए शर्मिदां
इस सच को जान कर कि मैने की पुकार वो आ भी गएपर
कभी नहीं सोचा कि है उन्हे कहाँ बिठाना!!!!
बरसों से खडे हैं हमराह पर
'उनके' इन्तजार मेंउम्मीद है
'वह' कभी आएंगेहमारा काम है इन्तजार करनातय
'उनको' करना है
किकब हमारे यहां आयेंगे

आओ ऐसा इक जंहाँ बनाऐं
जंहा भी जायें, खुशियाँ ही पाऐं!
ना दर्द का अहसास हो,
बस प्यार ही प्यार होफूल कभी ना मुरझायें,
न ही कभी पतझड़ आयेंहर जगह बहारें ही छायें...
आओ ऐसा इक जंहाँ बनायें!ख्वाब सभी के पूरे होंजो पूरे हो,
वो अधूरे होंग़म के बादल कभी ना छायेंप्यार की बारिश बरसती जायें....
आओ ऐसा इक जंहाँ बनायें!कोई कभी ना आंसू बहायेजिसे भी वो चाहे, '
उसका ही' वो हो जायेदूर कभी ना वो जायेजंहा भी जाये, हमेशा साथ '
उसका ही' पायें....आओ ऐसा इक जंहा बनायें!

कठपुतली की तरह बस नाचे जा रही हूँ,

किसी ने धागे से जिधर खीचां बस वही चल दी,

बिना कुछ सोचे बस ठुमके लगा रही हूँ,

मेरी आत्मा कोसती मुझको धिक्कार दे रही,

तू है जिन्दा इंसान,तुझमे भी दिल है,

क्या यूँ ही जन्म गवाएगीन सोचे गी कुछ बस धागों पर नाचती जाएगी,

परमेश्वर की संतान है तूउस ईश्वर का अभिमान है तू,

न की सिर्फ काठ की पुतली,जो सिर्फ नाचे जाती है,

मन को कर ले काबू में, तोङ के सारे धागों कोरख ले अपने हाथों में,

सौपं दे उसको अपना हर सांस, जो भी बाकी बचा हुआ,

फिर देख इस जीने में क्या है मज़ा,

सौपं दे सारे धागें उसको जो असली तेरा रचयिता है~~~

अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांई

जय सांई राम।।।

ये चन्द शेर मेरे उन भाई बहनों के लिये जो इन्तज़ार में हैं कंही ना कंही, किसी ना किसी बात के पूरा होने के लिये। बाबा हैं ना फिर काहे का ग़म है? थोड़ा सब्र थोड़ा सबूरी ही तो चाहते है मेरे बाबा सांई। रुको, थमों और गौर करो।
हारना ना कभी कि तू किसी की हिम्मत है
हर ख्वाब सजाने से पहले 'उसे' तेरी याद आती
हैउम्मीदें यूँही टूटें नही दोस्तकि कटी शाख पे भी कंही एक बीज होता
हैसपने और आंसू दोनो अपने हैंउन्हें साथ लेकर सब चलते
हैंतू क्यों रुका है आंसू देखकरबना ले उम्मीद की राहें कि तुझे आगे बढ़ना
हैदूर है फिर भी तेरी याद 'मेरे' संग
हैकिनारे पे कभी कभी लहरें आती हैखता ना करना
कभी खुद से कितेरे आंसू 'मेरी' सबसे बड़ी हार है।
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना sai
मैं इक अधम पापी प्राणी तन मन भरा विकारना
सपने में साई आते, ना करते स्वीकार
आप सरीखे भक्त जनों से शायद मैं कुछ पाऊंझांक सकूं
कभी अपने भीतर ऐसी क्षमता लाऊं
मोह माया में फंसी pada मैं, इतना भी ना जानूअन्तर्मन में साई बैठे,
कैसे उन्हें पहचानूहे साई जी कृपा करो
अब, अधम जीव को तारोजैसी भी हूं tera ही हूं,
अब तो मुझे स्वीकारोपरम दयालु दया करो अब,
मेरे सपने में आओतुमको अन्दर बैठा देखूं, चमत्कार
मैं क्या मागूं आप से आप की कृपा के सिवा,
सब कुछ दिया आप ने सिर्फ एक झलक के सिवा,
दया कीजिए बुला लीजिएऔर कुछ नहीं चाहती
सिर्फ दर्शन के सिवा~~~चाह जिसे कहते है ,
बच्चे का खिलौना है ,मिल जाए तो मिट्टी है ,
खो जाए तो सोना है~~~
जय सांई राम।।।
ZINDAGI KE HAR PEHLU KE DO MAYNE HOTE HAIN !!YEH TUMHARA PHAISLA HAI KI TUM KAUN SA APNAOGE !! GHUMON KO APNAKER BERANG BANOGE !!KHUSHIYAN CHUNKER SADA MUSKURAOGE !! ZINDAGI TO JAISE EK AAYINA BAN CHUKI HAI !!JIS TARAH DEKHOGE, SAMNE BHI WOHI PAOGE !! HUM YE NAHI KEHTE KE GHUM NAHI AYENGE KABHI !!MAGAR AAP KHUSH RAHOGE TO UNHEN BHI HARA PAOGE !! ZINDA DIL BANKER DEKHO YEH DUNIYA !!JAHAN JAOGE WAHAN KHUSHIYAN HI PAOGE !!
अपना सांई प्यारा सांई सबसे न्यारा अपना सांईॐ सांई राम।।।

हमारी मांगें पूरी करो

हमारी मांगें पूरी करो हाथ जोड कर शीश झुका करसाई
तेरे दर पर आकरबाबा करते हम अरदासरखना श्री चरणो के पासमागे हम
आ हाथ पसारेजो हम चाहे देना प्यारेधन दौलत की नही है
आसन ही राज योग की प्यासनहीं चाहिये
महल चौबारेनहीं चाहिये वैभव सारेनहीं चाहिये
यश और मानना देना कोई सम्मानजो हम चाहें
सुन लो दातादेना होगा तुम्हें विधाताखाली
हम ना जायेंगेजो मान्गा सो पायेंगेहमको
प्रभु प्रेम दो ऐसाशामा को देते थे
जैसाहरदम रखो अपने साथमस्तक पर
धर कर श्री हाथभक्ति हममे जगाओ
वैसीजगाई मेधा मे थी जैसीभक्ति मे भूलें जग साराकेवल
तेरा रहे सहारा महादान हमको दो ऐसालक्श्मी शिन्दे को दिया था
जैसाअश्टान्ग योग नवधा भक्तिसाई सब है
तेरी शक्तिसेवा का अवसर दो ऐसाभागो जी को दिया था
जैसाचाहे कश्ट अनेक सहेंश्री चरणों का ध्यान रहेनिकटता दे दो
हमको वैसीम्हाल्सापति को दी थी जैसीप्रभु बना लो
अपना दासह्रदय में आ करो निवाससम्वाद करो
हमसे प्रभु ऐसेतात्या से करते थे
जैसेसुख दुख तुमसे बांट सकेंरिश्ता
तुम से गान्ठ सकेमहाग्यान दो
हमको ऐसानाना साहेब को दिया था
जैसादूर अझान अन्धेरा होजीवन में नया सवेरा होवाणी दे दो
हमको वैसीदासगणु को दी थी जैसीघर घर तेरा गान करेंसाई
तेरा ध्यान धरेंआशीश दे दो हमको ऐसाहेमाडपंत को दिया था
जैसाकुछ हम भी तो कर जाऎंसाईं स्तुति रच तर जाऎंमहाप्रसाद
हमको दो ऐसादेते राधा माई को
जैसाहम भी पाऎं कॄपा प्रसादशेश रहे ना कोई स्वादआधि व्याधि हर लो
ऐसेकाका जी की हरी थी जैसेशेश रहे ना कोई विकारदुर्गुण ,
दुर्मन दुर्विचारमुक्ति देना हमको वैसीबालाराम को दी थी
जैसीश्री चरणों में डालें डेराजन्म मरण का छूटे फेराजो मांगा है
नहीं असंभवतुम चाहो तो कर दो संभव विनती ना ठुकराओ
तुम बच्चों को अपनाओ तुममाना दोश घनेरे हैंबाबा
फिर भी तेरे हैंदो हमको मनचाहा दान भक्तों का कर दो कल्याण
हमें मिला जो ये जीवन ,
परमेश्वर का उपकार हुआ,
इसे जी कुछ इस तरह ,
जैसे कि हो इक साधना,
नहीं तो तेरा अमूल्य धन समझ यूँ ही बेकार हा
JEEVAN YE AMULYA DHAN HUA JAATA HAI BEKAARSAI JI SUNTE NAHI KABSE RAHI UNHE PUKAAREK DIN SUNAINGE BABA, MAN ME PUKKA HAI VISHWAASDARSHAN DAINGE BABA MERE, POORI HOGI MERI AASISI AAS ME BABA SAI, MAIN TO JIYE JAATI HOONBAAR BAAR APNE MAN KO, MAIN YAHI SAMJHAATI HOONKAHIN KAMI MUJH ME HI HAI, JO BABA AATE NAHIDOSH NAINO KA HI HAI JO SAI DARAS PAATE NAHIHAI MERE SAI BAGWAAN,VINTI KARTI BAARAMBAARIN NAINO KI PYAAS BUJHAADO। AAN PADI HOON TERE DWAAR

JAI SAI RAM